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Showing posts from May, 2011

जय का कोई विकल्प नहीं

Dedicated to Naincy..  यह हार तो नहीं प्रिये बिगुल है उस चुनौती का | समक्ष ही खड़ी है जो उसे तुम यूँ स्वीकार लो | भय तो तेरा स्वभाव नहीं यह स्वभाव है बस हार का; पराजय तब तक होती नहीं, स्वीकार जब तक हो नहीं | विजय को तेरी आस है मिलेगी जब तक प्यास है, प्यास को न बुझा इस आग में बढ़ा ले अब इस ताप में | जीवन है, विजयगीत नहीं इस बात को भी गाठ लो | फिर लक्ष्य क्या और जीत क्या ? हार क्या वो बात क्या ? हौसलों को ऊंचा रखना है, आसमा को भी दिखाना है ; इरादे हो तो बस और क्या चुनौती भी सर झुकाती है, जय का कोई विकल्प नहीं यही तो हार हमे सिखाती है| -   प्रिया सिंह