याद है वो शामें जो गुज़ारी थी मैंने तुम्हारे साथ सूरज ढलते देखके.. चाय की चुस्कियों के संग नयी ख्वाहिशो की बातें करके.. दो पल ठहर के सोचो ज़रा, वहाँ से कितना दूर आ गए हम.. सपने सच होने लगे हैं नए ख्वाबों को जगह देने लगे हैं :) - प्रिया सिंह
Have you ever paused your life, your thoughts, to see around, to put things into perspective?