कुछ सपनो की खातिर ही तो आँखें यूं जो मूँद ली है | मानो बंद नयनो में अब रौशनी की इक किरण दिखी है, अब जा कर सब साफ़ दिखा है हसरतो को आधार मिला है| कुछ सपनो की खातिर ही तो आँखें ये जो मूँद ली है | एहसास कुछ पा जाने का खोयी हुयी एक आस मिली है, दिल के भीतर अंतरमन में एक छोटी सी ज्योत जली है, पत्थरो के ऊपर ही से इक नयी सी राह दिखी है| आँखें तो अब आज खुली हैं स्वास में इक आग जली है, कुछ सपनो की खातिर ही तो आँखें यूं जो मूँद ली है | - प्रिया सिंह
Have you ever paused your life, your thoughts, to see around, to put things into perspective?