बचपन के क्या दिन थे.. कुछ नासमझ से जो हम थे.. भोला सा वो अपना मन, याद आये आज बचपन | द्वेष और छल से वंचित था, प्यार से केवल संचित था | आज वक़्त की दौड़ में गुम है.. खोया खोया सा मासूम बचपन है |
Have you ever paused your life, your thoughts, to see around, to put things into perspective?