For the people who ask without emotions, just to know:
मेरे मुख पर रिक्त सा भाव देखकर ,
प्रश्न जो तुमने किया है
सोच लो, यह वह मधुर संवाद नहीं ,
जिसकी तुम्हे अपेक्षा है |
मैं भी खूब समझती हूँ,
इस प्रश्न से तुम्हारी क्या मंशा है ,
दुःख बांटना नहीं,
बस जिज्ञासा शांत करने की तुम्हे इच्छा है |
अपना भी रंज बताकर
तुम आगे बढ़ जाओगे ;
कहाँ सोचा था कभी तुमने
जो आगे साथ निभाओगे ,
वो तो बस मन का कौतुहल था,
जिसे मिटाने के लिए तुमने प्रश्नों की झड़ी लगाई |
और क्या बस तुम्हे परवाह थी,
जो तुम्हे अचानक मेरी याद आई ?
उत्सुक मन को बहला कर,
तुम बस एक धारणा बनाओगे ;
दिल ही दिल में सोचकर
एक राय स्थिर करवाओगे |
पर अब मैं भी खूब समझती हूँ
काले से अंतर को अपने भीतर बंद रखती हूँ |
इस बाह्य दुनिया की रीत देख चुकी हूँ
संवेदन-शून्य जाति का भेद बूझ चुकी हूँ |
मेरे मुख पर रिक्त सा भाव देखकर ,
प्रश्न जो तुमने किया है
सोच लो, यह वह मधुर संवाद नहीं ,
जिसकी तुम्हे अपेक्षा है |
मैं भी खूब समझती हूँ,
इस प्रश्न से तुम्हारी क्या मंशा है ,
दुःख बांटना नहीं,
बस जिज्ञासा शांत करने की तुम्हे इच्छा है |
अपना भी रंज बताकर
तुम आगे बढ़ जाओगे ;
कहाँ सोचा था कभी तुमने
जो आगे साथ निभाओगे ,
वो तो बस मन का कौतुहल था,
जिसे मिटाने के लिए तुमने प्रश्नों की झड़ी लगाई |
और क्या बस तुम्हे परवाह थी,
जो तुम्हे अचानक मेरी याद आई ?
उत्सुक मन को बहला कर,
तुम बस एक धारणा बनाओगे ;
दिल ही दिल में सोचकर
एक राय स्थिर करवाओगे |
पर अब मैं भी खूब समझती हूँ
काले से अंतर को अपने भीतर बंद रखती हूँ |
इस बाह्य दुनिया की रीत देख चुकी हूँ
संवेदन-शून्य जाति का भेद बूझ चुकी हूँ |
Comments
दुसरे के चहरे की रिक्तता मन की आह्लाद्ता बन चुकी है।
पर कुछ चाँद लोगों का अस्तित्व सर्वजन का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती,
हमारे तो प्रश्न भी सच्चे थे और भाव भी, गलत तो बस तुमने समझ लिया।
Great Piece :)